Come home to roost, this guy is my fav hindi poet :
Pratilipi » श्रीकांत वर्मा / Shrikant Verma
कशी में शव
तुमने देखी है कशी?
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव –
उसी रास्ते
आता है शव!
शवों का क्या!
शव आएंगे,
शव जायेंगे –
पूछो तो, किसका है यह शव?
रोहिताश्व का?
नहीं, नहीं,
हर शव रोहिताश्व नहीं हो सकता
जो होगा
दूर से पहचाना जायेगा
दूर से नहीं, तो
पास से –
और अगर पास से भी नहीं,
तो वह
रोहिताश्व नहीं हो सकता
और अगर हो भी तो
क्या फर्क पड़ेगा?
मित्रों,
तुमने देखी है कशी,
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव
उसी रास्ते
आता है शव!
तुमने सिर्फ यही तो किया –
रास्ता दिया
और पूछा –
किसका है यह शव?
जिस किसी का था,
और किसका नहीं था,
कोई फर्क पड़ा?
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कोसाम्बी
पूछ रही है, वासवदत्ता
कोसाम्बी के
पहले
क्या था?
वासवदत्ता!
कोसाम्बी के पहले
केवल
कोसाम्बी थी
कोसाम्बी के बाद
केवल
कोसाम्बी है
कोसाम्बी के बदले
केवल
कोसाम्बी
मिल सकती है
कोसाम्बी का पता पूछती
वासवदत्ता
कोसाम्बी तक
पहुँच गयी है
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हस्तिनापुर
ज़रा सोचो
उस व्यक्ति के बारे में,
जो, हस्तिनापुर आता है
और कहता है
नहीं, नहीं, यह हस्तिनापुर नहीं हो सकता
ज़रा सोचो
उस व्यक्ति के बारे में,
जो, अकेला पड़ गया है –
कभी भी लड़ा गया हो महाभारत, क्या फर्क पड़ता है?
संभव हो,
तो सोचो
हस्तिनापुर के बारे में,
जिसके लिए
थोड़े-थोड़े अंतराल में,
लड़ा जा रहा है, महाभारत
और किसी को फर्क नहीं पड़ता
उस व्यक्ति को छोड़
जो आता है हस्तिनापुर
और कहता है,
नहीं, नहीं, यह हस्तिनापुर नहीं हो सकता
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हस्तिनापुर का रिवाज
मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा –
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता!
हस्तिनापुर में सुनने का रिवाज नहीं –
जो सुनते हैं
बहरे हैं या
अनसुनी करने के लिए
नियुक्त किये गए हैं
मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा –
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता
तब सुनो या मत सुनो
हस्तिनापुर के निवासियों! होशियार!
हस्तिनापुर में
तुम्हारा एक शत्रु पल रहा है, विचार –
और याद रखो
आजकल महामारी की तरह फैल जाता है,
विचार
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उज्जयिनी का रास्ता
उज्जयिनी जाने को इच्छुक यात्रियों से निवेदन है:
यह रास्ता उज्जयिनी को नहीं जाता
और यह कि यही रास्ता उज्जयिनी को जाता है
मैं कल तक रास्ता दिखा रहा था
यह कहकर कि
सावधान! यह रास्ता उज्जयिनी को जाता है
मैं आज भी रास्ता दिखा रहा हूँ
यह कहकर कि
सावधान! यह रास्ता उज्जयिनी को नहीं जाता
यात्रीगण!
सच तो यह है कि
हर रास्ता उज्जयिनी को जाता है
और यह
कि कोई रास्ता उज्जयिनी को नहीं जाता
उज्जयिनी
लगातार रास्ता जोहती है
उज्जयिनी
रास्तों से मुँह फेर चुकी है
तब फिर
जिन्हें उज्जयिनी जाना है, कहाँ जाएँ?
वे उज्जयिनी जाएँ
और कहें
यह उज्जयिनी नहीं
क्योंकि हम
उन रास्तों से नहीं आये
जो उज्जयिनी जाते हैं
या उज्जयिनी नहीं जाते
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Can't copy all, too much..
Untitled Document
PS : the above link has the english translations too.