सवाल ये उठता है मुसलमान खुश नहीं हैं,
वे गाजा में खुश नहीं हैं,
वे मिस्र में खुश नहीं हैं,
वे लीबिया में खुश नहीं हैं,
वे मोरक्को में खुश नहीं हैं,
वे बांग्लादेश मे खुश नही है,
वे ईरान में खुश नहीं है,
वे इराक में खुश नहीं है,
वे यमन में खुश नहीं है,
वे सूडान मे खुश नही है,
वे अफगानिस्तान में खुश नहीं हैं,
वे सोमालिया मे खुश नही है,
वे पाकिस्तान में खुश नहीं हैं,
वे सीरिया में खुश नहीं हैं,
वे लेबनान में खुश नहीं हैं,
वे कश्मीर में खुश नहीं हैं,
वे चेचन्या में खुश नहीं हैं,
वे पूर्वी तुर्केस्तान में खुश नहीं हैं,
तो मुस्लिम समाज कहाँ खुश है ???
वे ऑस्ट्रेलिया में खुश हैं,
वे इंग्लैंड में खुश हैं,
वे फ्रांस में खुश हैं,
वे इटली में खुश हैं,
वे जर्मनी में खुश हैं,
वे स्वीडन में खुश हैं,
वे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में खुश हैं,
वे भारत में खुश हैं,
वे लगभग हर उस देश में शान्ति से जी रहे हैं,
जो कि इस्लामी देश नहीं हैं !
लेकिन वो इलज़ाम किस पर लगाते है ???
न इस्लामी रहनुमाओ पर ,न ही अपने नेतृत्व पर और न ही खुद
पर पर ,बल्कि उन सभी गैर मुस्लिम देशो पर और वहा के गैर मुस्लिम लोगो पर जिन्होने उन्हे रहने के लिए जगह दी ...
लेकिन ऊपर से ये मुस्लिम लोग वहा भी इस्लामीकरण का
सपना देख कर उसे भी इस्लामी देश बनाने पर आमादा है
जहाँ खुद ये लोग दुखी है और बाकी दुनिया तो पहले से ही दुखी है इनसे पिछले 1400 सालो स