ज़िंदगी और मौत से जूझ रही गर्भवती हिन्दू बहन गरिमा, जिसने सब कुछ बाढ़ में गवा दिया, सिखों की महनत से जान बची । लड़के का नाम युवराज सिंह रखा ।
सारा किस्सा नीचे.....
जम्मू कश्मीर में आए बाढ़ ने किसी धर्म को नहीं बख्शा । सरकारों द्वारा किया भेद-भाव साफ़ नज़र आया । मुसलमान ही नहीं, कई हिन्दू परिवारों ने भी अपना सब कुछ खो दिया । इन में से एक गरिमा नामी हिन्दू गर्भवती बहन का भी सब कुछ उजड़ गया ।
सेहत जवाब दे गई और सरकारों के दरबार पे गुहार लगाई । न सरकारों ने सुनी, न किसी और भाईचारे ने । आखिरकार गुरदुआरे पहुँची और Australian Sikh Support के सिख तुरंत हस्पताल ले गए । डॉक्टरों ने बहन की हालत नाज़ुक बताते हुए बड़े हस्पताल ले जाने को कहा । Sher-E-Kashmir Institute of Medical Science (SKIMS) पहुँचे तो डॉक्टरों ने कहा की गरिमा को बचाने की कोशिश की जा सकती है पर बच्चे को नहीं । सिखों ने गुरु साहिब के चरणो में अरदास की और दोनों माँ और होने वाले बच्चे की तंदरुस्ती के लिए प्रार्थना की ।
गरिमा की हालत बहुत खराब होने के कारण मल-मूत्र और खून में लथपथ उसके पास कोई नहीं आ रहा था । सिखों ने खुद इनकी सफाई की । हस्पताल में दवाईयां ना होने के कारण तीन किलोमीटर दौड़ के आना जाना पड़ता था । औरतों का हस्पताल होने की वजह से सिर्फ औरतें ही अंदर जा सकती हैं । पर डाक्टर ने गुरु के सिखों का भरोसा करते हुए पूरी छूट दे दी ।
गरिमा कई घंटे दर्द से तड़पती रही । खून की कमी होने से सिखों ने अपना खून भी गरिमो को दिया । परिवार का कोई भी पास नहीं था । पास में थे तो कुछ देर पहले मिले गुरु के सिख । डॉक्टर बच्चे को बचाने की आस छोड़ चुके थे । गरिमा को बचाने की कोशिश की जा रही थी ।
आखिरकार सिखों की अरदास परवान हुई । गरिमा ने तंदरुस्त बच्चे को जन्म दिया । डॉक्टर परमात्मा के इस चमत्कार को देख हैरान हुए । सारे हस्पताल में ख़ुशी वाला माहौल छा गया और सिखों द्वारा किये गए महान काम की सराहना हुई । डॉक्टरों ने सिख कौम का तह दिल से धन्यवाद किया जो घर बार छोड़ के बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे थे ।
गरिमा जब सिखों से मिली तो उसके आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और वह कुछ बोल नहीं पा रही थी । बस यही कहा "मैं चाहती हूँ मेरा बेटा भी आप जैसा सिख बने", और बच्चे का नाम "युवराज सिंह" रखा गया ।
गरिमा और युवराज सिंह दोनों अब बिलकुल ठीक-ठाक हैं ।