sudhir007
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Nirbhay, a subsonic missiles’ journey in flash back | Life In Transit
With the invite from DRDO to cover India’s first subsonic cruise missile Nirbhay’s launch having reached my way barely 60 hours before the countdown was to commence, the nomad in me was set free once again! And this time I was on my maiden journey to Odisha, the land of Olive Ridley turtles and Lord Jagannath! Here is my account -
चांदीपुर, बालासोर का सफर
ओडिशा के बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, भुवनेश्वर पर रात 10 बजे पहुंचने के बाद सीधे बालासोर रवाना हो गया था हमारा कारवां। पुरी, भद्रक, कटक, कोलकाता जैसे जाने कितने ही नाम हाइवे पर खड़े मील के पत्थरों पर चस्पां थे, मगर मेरी दिलचस्पी उस रोज़ किसी में नहीं थी, सिर्फ एक ही मंजिल थी – चांदीपुर। बालासोर तट पर अगले 36 घंटों में वो घटने वाला था जो हिंदुस्तान को आत्मरक्षा के उसके सफर में और मजबूती देगा, हमारे वैज्ञानिक पहली सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल को चांदीपुर तट से परीक्षण के लिए हवा में भेजने वाले थे और इस पूरे घटनाक्रम को दुनिया की नज़रों के सामने लाने के लिए तैनात कुछ मुट्ठी भर मीडियाकर्मियों की टीम का हिस्सा बनने का गुरूर और रोमांच मेरी रगों में तैर रहा था …
Integrated Test Range, Chandipore – Theatre of action
17 अक्टूबर, 2014 को सवेरे 7 बजे इंटीग्रेटेड टैस्ट रेंज, चांदीपुर के गेट पर थे हम। दुनिया के व्यस्ततम Launch Complex में से एक है यह रेंज जहां अमूमन 30-35 परीक्षण साल भर में किए जाते हैं।
निर्भय का परीक्षण LC3 से होना तय हुआ था।
This tranquil sea shore led me to LC3
ITR के विशाल परिसर का दौरा करने में हमें यही कोई एकाध घंटे का समय लग गया होगा, वो तो तब जबकि बस गिनी-चुनी अहम् मंजिलों को तक ही गए थे हम।
Control Room, ITR-Chandipur
निर्भय के आसमानी सफर पर निगाह रखने के लिए टैक्नोलॉजी का जमघट था ITR में।
Made in India High Gain Telemetry
मशीनें और ढेर सारी मशीनें …
Electro Optical tracking sytem
अब हम कंट्रोल सेंटर के अंदर पहुंच गए थे, मॉनीटरों की भीड़ थी यहां, एक—एक पल पर नज़र रखती हुई मशीनें।
Inside the Control Room
हम एक के बाद एक कई ऐसे मुकाम पार कर आखिरकार LC 3 पर पहुंच चुके थे। यहीं हमारे सामने आसमान से हाथ मिलाने को तैयार ”निर्भय” को रखा गया था।
और काउंटडाउन से पहले वक़्त हुआ जाता था हमारी परंपराओं से बरसों से जुड़ी आ रही पूजा-अर्चना का, किसी भी बड़े काम को अंजाम देने से पहले उसके लिए शुभकामनाओं का, दुआओं का…
a little prayer is in our DNA!
इस बीच, तकनीशियनों ने मुआयना करना जारी रखा था या फिर ”निर्भय” को करीब से देख लेने का यह उनका मोह भर था!
और LC 3 के उस लॉन्च पैड पर जमा थे ”टीम निर्भय” से जुड़े रहे विशेषज्ञ, डीआरडीओ की देशभर की प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक, अधिकारी, मीडियाकर्मी और उन सबके बीच मैंने महसूस किया था एक सहज मौन, जैसे हर किसी के मन में कोई प्रार्थना गीत बज रहा हो !
ये तने हुए बदल सिर्फ इंतज़ार के नहीं थे, उस तनाव की वजह से ऐसे दिखते थे जिसकी परिणति बस अबसे कुछ ही देर में होने वाली थी
बेशक, सेकुलर हिंदुस्तान को मिसाइल लॉन्च से पहले नारियल-रोली-चंदन और श्लोक-मंत्रों से सजे ये पल दकियानूसी लगें, लेकिन सच तो यह है कि तनावभरे उन पलों को कुछ हल्का कर गया था हमारी परंपरा का यह हिस्सा। और फिर कौन कहता है कि विज्ञान की राह विश्वास की राह से जुदा है, हमारे मंत्रों में भी एक ताकत है, और हमारे लबों पर सजी दुआओं में भी शक्ति !
With the invite from DRDO to cover India’s first subsonic cruise missile Nirbhay’s launch having reached my way barely 60 hours before the countdown was to commence, the nomad in me was set free once again! And this time I was on my maiden journey to Odisha, the land of Olive Ridley turtles and Lord Jagannath! Here is my account -
चांदीपुर, बालासोर का सफर
ओडिशा के बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, भुवनेश्वर पर रात 10 बजे पहुंचने के बाद सीधे बालासोर रवाना हो गया था हमारा कारवां। पुरी, भद्रक, कटक, कोलकाता जैसे जाने कितने ही नाम हाइवे पर खड़े मील के पत्थरों पर चस्पां थे, मगर मेरी दिलचस्पी उस रोज़ किसी में नहीं थी, सिर्फ एक ही मंजिल थी – चांदीपुर। बालासोर तट पर अगले 36 घंटों में वो घटने वाला था जो हिंदुस्तान को आत्मरक्षा के उसके सफर में और मजबूती देगा, हमारे वैज्ञानिक पहली सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल को चांदीपुर तट से परीक्षण के लिए हवा में भेजने वाले थे और इस पूरे घटनाक्रम को दुनिया की नज़रों के सामने लाने के लिए तैनात कुछ मुट्ठी भर मीडियाकर्मियों की टीम का हिस्सा बनने का गुरूर और रोमांच मेरी रगों में तैर रहा था …
Integrated Test Range, Chandipore – Theatre of action
17 अक्टूबर, 2014 को सवेरे 7 बजे इंटीग्रेटेड टैस्ट रेंज, चांदीपुर के गेट पर थे हम। दुनिया के व्यस्ततम Launch Complex में से एक है यह रेंज जहां अमूमन 30-35 परीक्षण साल भर में किए जाते हैं।
निर्भय का परीक्षण LC3 से होना तय हुआ था।
This tranquil sea shore led me to LC3
ITR के विशाल परिसर का दौरा करने में हमें यही कोई एकाध घंटे का समय लग गया होगा, वो तो तब जबकि बस गिनी-चुनी अहम् मंजिलों को तक ही गए थे हम।
Control Room, ITR-Chandipur
निर्भय के आसमानी सफर पर निगाह रखने के लिए टैक्नोलॉजी का जमघट था ITR में।
Made in India High Gain Telemetry
मशीनें और ढेर सारी मशीनें …
Electro Optical tracking sytem
अब हम कंट्रोल सेंटर के अंदर पहुंच गए थे, मॉनीटरों की भीड़ थी यहां, एक—एक पल पर नज़र रखती हुई मशीनें।
Inside the Control Room
हम एक के बाद एक कई ऐसे मुकाम पार कर आखिरकार LC 3 पर पहुंच चुके थे। यहीं हमारे सामने आसमान से हाथ मिलाने को तैयार ”निर्भय” को रखा गया था।
और काउंटडाउन से पहले वक़्त हुआ जाता था हमारी परंपराओं से बरसों से जुड़ी आ रही पूजा-अर्चना का, किसी भी बड़े काम को अंजाम देने से पहले उसके लिए शुभकामनाओं का, दुआओं का…
a little prayer is in our DNA!
इस बीच, तकनीशियनों ने मुआयना करना जारी रखा था या फिर ”निर्भय” को करीब से देख लेने का यह उनका मोह भर था!
और LC 3 के उस लॉन्च पैड पर जमा थे ”टीम निर्भय” से जुड़े रहे विशेषज्ञ, डीआरडीओ की देशभर की प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक, अधिकारी, मीडियाकर्मी और उन सबके बीच मैंने महसूस किया था एक सहज मौन, जैसे हर किसी के मन में कोई प्रार्थना गीत बज रहा हो !
ये तने हुए बदल सिर्फ इंतज़ार के नहीं थे, उस तनाव की वजह से ऐसे दिखते थे जिसकी परिणति बस अबसे कुछ ही देर में होने वाली थी
बेशक, सेकुलर हिंदुस्तान को मिसाइल लॉन्च से पहले नारियल-रोली-चंदन और श्लोक-मंत्रों से सजे ये पल दकियानूसी लगें, लेकिन सच तो यह है कि तनावभरे उन पलों को कुछ हल्का कर गया था हमारी परंपरा का यह हिस्सा। और फिर कौन कहता है कि विज्ञान की राह विश्वास की राह से जुदा है, हमारे मंत्रों में भी एक ताकत है, और हमारे लबों पर सजी दुआओं में भी शक्ति !